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 राज्य आंदोलनकारी खीम सिंह राणा के निधन से टूटा आंदोलनकारियों का मजबूत स्तंभ

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राज्य आंदोलनकारी खीम सिंह राणा के निधन से टूटा आंदोलनकारियों का मजबूत स्तंभ

मेरा हक न्यूज़ में आपका स्वागत है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के एक जुझारू सिपाही और गागरीगोल क्षेत्र के गौरव रहे खीम सिंह राणा का अकस्मात निधन हो गया है। 72 वर्ष की उम्र में उनका इस तरह चले जाना न सिर्फ उनके परिवार के लिए गहरा आघात है, बल्कि पूरे राज्य आंदोलनकारी समुदाय के लिए भी एक बड़ी क्षति है। बीते 6 सितंबर को सीर गांव गागरीगोल में उन्होंने अंतिम सांस ली, और इस समाचार ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया।

 

बागेश्वर जिले के 27 राज्य आंदोलनकारियों में से 16 आंदोलनकारी गरुड़ ब्लॉक से थे और इनमें गागरीगोल क्षेत्र के सबसे अधिक लोग राज्य निर्माण के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे। इन्हीं में से एक थे खीम सिंह राणा, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य की लड़ाई में न केवल अपनी मौजूदगी दर्ज कराई बल्कि साथी आंदोलनकारियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी बने।

 

आंदोलनकारी पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजेंद्र थायत, पूरन रावत, कैप्टन धाम सिंह सुनोला, धरम सिंह भरड़ा और मंगल सिंह बिष्ट सहित कई साथियों ने गहरे दुख के साथ कहा कि खीम सिंह राणा का जाना सिर्फ एक व्यक्ति की क्षति नहीं है बल्कि एक मजबूत स्तंभ का गिर जाना है। उनका कहना है कि राणा ने जिस साहस, समर्पण और दृढ़ता के साथ राज्य आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

 

गागरीगोल क्षेत्र हमेशा से उत्तराखंड राज्य आंदोलन का गढ़ रहा है और यहां से सबसे ज्यादा लोगों ने आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। इस पृष्ठभूमि में खीम सिंह राणा का योगदान एक मिसाल की तरह रहा। उनके व्यक्तित्व में जुझारूपन, सेवा भाव और समाज के प्रति समर्पण की झलक हर समय देखने को मिलती थी।

 

आज जब पूरा इलाका उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, तब उनके साथियों का कहना है कि आंदोलन के दिनों की यादें फिर से ताजा हो गई हैं। वे कहते हैं कि खीम सिंह राणा हमेशा संघर्ष की पहली पंक्ति में खड़े रहते थे और अपने साथियों को कभी हिम्मत नहीं हारने देते थे।

 

इस दुखद घड़ी में पूरा क्षेत्र उनके परिवार के साथ खड़ा है और भगवान से यही प्रार्थना की जा रही है कि उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को यह गहन दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। खीम सिंह राणा का जाना न सिर्फ एक घर का खाली होना है, बल्कि पूरे राज्य आंदोलन परिवार का एक मजबूत सहारा छिन जाना है।

ॐ शांति। 🌹

 

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