
बागेश्वर में खुलेगा खनन , सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाईकोर्ट को फटकार , बड़ी सुनवाई, वैध पट्टाधारकों को मिलेगी राहत

मेरा हक न्यूज़ में आपका स्वागत है। आज की बड़ी खबर खनन को लेकर है, जहां उत्तराखंड उच्च न्यायालय को सर्वोच्च न्यायालय ने फटकार से हुई सुनवाई में खनन विभाग ने अपना पक्ष मजबूती से रखा है। नैनीताल से आई इस अहम जानकारी में साफ हुआ है कि सरकार उन पट्टाधारकों के साथ है, जो नियमों के तहत खनन और भंडारण कर रहे हैं। जबकि अवैध खनन करने वालों पर सख्ती जारी रहेगी।
अदालत में दायर प्रत्युत्तर शपथपत्र में खनन विभाग ने बताया कि उनकी जांच में 27 खदानें अवैध पाई गईं। वहीं 36 पट्टाधारकों को जुर्माना भुगतना पड़ा, क्योंकि उन्होंने लीज क्षेत्र से बाहर अवशिष्ट सामग्री डाल दी थी। इन सभी पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसके उलट 29 पट्टाधारक पूरी तरह नियमों का पालन करते पाए गए, जो इस बात का प्रमाण है कि पारदर्शी तरीके से खनन करना संभव है।
राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अत्माराम नन्दकर्णी ने अदालत को बताया कि सरकार को उन पट्टाधारकों से कोई आपत्ति नहीं है जो वैध खनन कर रहे हैं। ऐसे पट्टाधारक अपनी रॉयल्टी और जुर्माना चुकाने के बाद अपने भंडारित स्टॉक को बेच सकते हैं। खनन विभाग ने अदालत को यह भी अवगत कराया कि स्टॉक की गिनती पहले ही कर ली गई है और उसका पूरा ब्यौरा विभाग के पास मौजूद है। हर बिक्री से जुड़ी जानकारी पट्टाधारकों को विभाग को देनी होगी और इसके लिए उन्हें शपथपत्र भी प्रस्तुत करना होगा।
सरकार का कहना है कि खनन पर रोक से राज्य की अर्थव्यवस्था और आम जनता की आजीविका पर असर पड़ रहा है, इसलिए इस मामले की जल्द सुनवाई बेहद जरूरी है। अब अगली सुनवाई 9 दिसंबर 2025 को होगी। खनन विभाग के इस रुख को प्रदेश में पारदर्शी खनन व्यवस्था की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, जिससे न केवल पट्टाधारकों को राहत मिलेगी बल्कि राज्य की आर्थिक धारा भी सुचारू हो सकेगी।





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