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2027 में दो चरणों में होगी जनगणना और जातिगत गणना, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना
पूरे देश को जानने और समझने की तैयारी अब तेज़ हो गई है। भारत सरकार ने 16 जून 2025 को एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी करते हुए यह साफ़ कर दिया है कि देश की अगली जनगणना वर्ष 2027 में दो चरणों में की जाएगी। और इस बार, जनगणना के साथ-साथ जातिगत गणना भी की जाएगी, जो सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी इस राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है कि जनगणना अधिनियम 1948 की धारा 3 के तहत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए भारत सरकार ने यह फैसला लिया है। इससे पहले 28 मार्च 2019 को जारी की गई अधिसूचना को निरस्त करते हुए, इस नई अधिसूचना के माध्यम से जनसंख्या गणना की नई समय-सीमा तय कर दी गई है।
अब सवाल यह है कि कब और कैसे होगी यह जनगणना?
तो आपको बता दें कि देश के अधिकांश हिस्सों में जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि तय की गई है, यानी 00:00 बजे से जनगणना की प्रक्रिया मानी जाएगी। लेकिन कुछ विशेष क्षेत्रों के लिए इसमें बदलाव किया गया है।
लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड के उन इलाकों में, जो बर्फबारी और मौसम की वजह से सामान्य समय में जनगणना के लिए अनुपयुक्त माने जाते हैं, उनके लिए यह प्रक्रिया पहले शुरू होगी। इन क्षेत्रों की संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 की मध्यरात्रि तय की गई है।
सरल भाषा में कहें तो 2027 की जनगणना दो चरणों में होगी — एक अक्टूबर 2026 में हिमालयी क्षेत्रों में, और दूसरी मार्च 2027 में देश के बाकी हिस्सों में।
अब बात करें जातिगत गणना की तो इस अधिसूचना के जरिए एक संकेत और मिला है — वह यह कि इस बार की जनगणना में भारत की सामाजिक संरचना को गहराई से दर्ज किया जाएगा, यानी जातिगत आँकड़े भी एकत्र किए जाएंगे। हालांकि अधिसूचना में “जातिगत गणना” शब्द सीधे-सीधे नहीं लिखा गया है, लेकिन सरकार द्वारा जारी होने वाली इस प्रकार की अधिसूचना का विस्तृत अर्थ यही निकलता है कि यह जनगणना अधिक व्यापक और समाज के हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए की जाएगी।
इस पूरे अभियान की जिम्मेदारी भारत के महा पंजीयक एवं जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण को सौंपी गई है। उनका नाम इस अधिसूचना में विशेष रूप से दर्ज है।
आपको याद दिला दें कि पिछली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण यह टलती रही। अब जाकर केंद्र सरकार ने साफ़-साफ़ समयसीमा तय कर दी है जिससे प्रशासनिक तैयारी, संसाधन और तकनीकी व्यवस्थाएं समय पर हो सकें।
इस जनगणना के नतीजे भारत के सामाजिक न्याय, योजनाओं के निर्धारण, संसाधनों के वितरण और आरक्षण नीति जैसे कई गंभीर मुद्दों पर असर डालेंगे। इसलिए यह सिर्फ एक आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि हर भारतीय की सामाजिक पहचान और हक से जुड़ी सबसे बड़ी प्रक्रिया है।
मेरा हक न्यूज़ इस ऐतिहासिक जनगणना से जुड़ी हर सूचना, हर पहल और हर बदलाव को आपके सामने लाने का वादा करता है।
देश के भविष्य की तस्वीर अब बनने वाली है — आंकड़ों में, योजनाओं में और आपकी भागीदारी में।
तो जुड़े रहिए, क्योंकि ये जनगणना सिर्फ गणना नहीं, ये है जन की बात।