आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक के बाद पंचायत चुनाव प्रक्रिया ठप, सरकार ने 24 जून को पुनः निवेदन किया, क्या परिणाम निकला आइए जानते है
मेरा हक न्यूज़ में आपका स्वागत है। पंचायत चुनाव की तैयारी कर रहे उत्तराखण्ड के लाखों ग्रामीण मतदाताओं के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। उत्तराखण्ड में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव फिलहाल रोक दिए गए हैं। वजह बनी है आरक्षण नियमावली को लेकर हाईकोर्ट का आदेश।
मामला शुरू हुआ गणेश दत्त काण्डपाल बनाम उत्तराखण्ड राज्य एवं अन्य रिट याचिका से, जिसमें याचिकाकर्ता ने यह आपत्ति उठाई थी कि राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों में आरक्षण को लेकर जो नियमावली तैयार की है, उसे अभी तक विधिवत गजट में प्रकाशित ही नहीं किया गया है। इस पर माननीय उच्च न्यायालय ने 23 जून 2025 को स्पष्ट आदेश देते हुए कहा कि जब तक नियमावली को गजट में प्रकाशित नहीं किया जाता, तब तक आरक्षण के आधार पर किसी भी पद के लिए आरक्षण आवंटन की कार्यवाही नहीं की जा सकती।

इस आदेश के बाद सरकार ने 24 जून को पुनः निवेदन किया और संबंधित याचिकाओं को एक साथ सुना गया। कोर्ट ने सभी याचिकाओं की अगली सुनवाई के लिए 25 जून की तारीख तय की है और तब तक सभी कार्यवाहियों को स्थगित रखने के निर्देश दिए हैं।
आपको बता दें कि उत्तराखण्ड राज्य निर्वाचन आयोग ने 21 जून को अधिसूचना जारी कर 12 जिलों के ग्राम प्रधानों, ग्राम पंचायत सदस्यों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों और जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया था। यह चुनावी प्रक्रिया 25 जून से शुरू होकर 28 जून तक नामांकन की तारीखों के साथ शुरू होने वाली थी।
लेकिन अब, उच्च न्यायालय के ताजा आदेश के चलते न तो पदों का आरक्षण तय हो पाया है और न ही नामांकन की स्थिति स्पष्ट हो सकी है। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उच्च न्यायालय से आगे कोई आदेश नहीं आता, तब तक पंचायत चुनाव की सारी प्रक्रियाएं, जिनमें नामांकन और आगे की चुनावी गतिविधियाँ शामिल हैं, स्थगित रहेंगी।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने इस संबंध में एक नई अधिसूचना जारी की है, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि आरक्षण नियमावली के बिना चुनावी प्रक्रिया को आगे बढ़ाना संविधान और न्यायालय दोनों की भावना के खिलाफ होगा।
इस अधिसूचना की प्रतिलिपि राज्यपाल सचिवालय से लेकर पंचायती राज विभाग, गृह विभाग, डीजीपी कार्यालय, सभी जिलाधिकारियों, मुख्य विकास अधिकारियों और सूचना विभाग तक भेजी गई है। साथ ही यह निर्देश भी दिया गया है कि इस अधिसूचना को सभी समाचार पत्रों में निःशुल्क प्रकाशित किया जाए और आकाशवाणी व दूरदर्शन पर प्रसारित भी किया जाए ताकि हर नागरिक तक सही जानकारी पहुंचे।
फिलहाल राज्य के सभी 12 जिलों में जहां पंचायत चुनाव होने थे, वहाँ चुनावी गहमागहमी एक झटके में थम गई है। प्रत्याशी, पंचायत प्रतिनिधि और मतदाता सभी अब उच्च न्यायालय के अगले आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
मेरा हक न्यूज़ लगातार इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है और जैसे ही कोई नया अपडेट आता है, हम आपको सबसे पहले जानकारी देंगे।
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